प्रश्न : सरबत खालसा क्या था ?
प्रश्न: शरबत खालसा एवं गुरूमत्ता
उत्तर : अमृतसर में होने वाली आम सभाएं शरबत खालसा कहलाती थी व इनमें जो प्रस्ताव रखे जाते थे उन्हें गुरू का आदेश माना जाता था, वह रूमत्ता कहलाता था। गुरूमत्ता एक प्रकार से सिक्खों की केन्द्रीय संस्था बना गई। जिसका शाब्दिक अर्थ था धर्मगुरू का आदेश। 1805 में सिक्खों का अंतिम गुरमत्ता हुआ।